सीधी बस हादसे को 72 घंटे हो गए। तीन परिवारों के आंसू अब भी नहीं थम रहे। बच्चों की तलाश में सीधी से रीवा जिले पहुंच गए, पर इंतजार खत्म नहीं हो रहा। गुरुवार को सीएम रीवा में तीन पीड़ित परिवार के लोगों से मिले तो उनके आंसू छलक पड़े। रोते-बिलखते परिजनों ने सीएम से कहा, 'मेरे बच्चों को ढुंढवा दो। अब और इंतजार नहीं होता।'
इधर, तीनों की तलाश के लिए जबलपुर से एसडीआरएफ की एक टीम पहुंची है। साथ ही जबलपुर से सेना भी बुला ली गई है। सेना के जवान लापता युवकों को बघबार से 10 किलोमीटर दूर छुहिया पहाड़ी में बनी नहर की करीब 4 किलोमीटर लंबी सुरंग में तलाशेंगे। जवान ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ सुरंग में उतरेंगे।
मंगलवार को सरदा पटना गांव के पास बाणसागर नहर में बस हादसे में अब तक 51 शव निकाले जा चुके हैं लेकिन, तीन परिवारों को अब भी उनके लाल नहीं मिल रहे। इनके परिजन रामपुर निकैनी स्थित मोर्चरी से लेकर नहर के घटनास्थल तक भटक रहे हैं।
कुकरीझर निवासी अरविंद विश्वकर्मा (20) के पिता विश्वनाथ ने बताया कि बेटा अपनी बुआ की बेटी बोदरहवा सिहावल निवासी यशोदा विश्वकर्मा (24) को एएनएनएम की परीक्षा दिलाने निकला था। हादसे में यशोदा की मौत हो गई। उसका शव मंगलवार को ही मिल गया था लेकिन, अरविंद की तलाश में परिजनों बेहाल हैं। परिवार के आंसू हैं कि रुकने का नाम नहीं ले रहे।
तीन बच्चों से छीन गया मां का आंचल
यशोदा विश्वकर्मा की शादी हो चुकी है। वह घर में बेटी दिव्या (5), बेटा दिव्यांश (3) और गौरव (18 माह) को सास के पास छोड़कर परीक्षा देने निकली थी। उसकी मौत से तीनों बच्चे मां की ममता से महरूम हो गए। दिव्या और दिव्यांश को अब भी मां का इंतजार हैं। तीनों बच्चों को देखकर परिजनों का कलेजा फट रहा है।
बहन के घर बलिया जा रहा था रमेश विश्वकर्मा
लापता युवकों में दूसरा रमेश विश्वकर्मा (25) है। मूलत: बिहार निवासी रमेश के पिता राजेंद्र सीधी स्थित पीडब्ल्यूडी में नौकरी करते हैं। रमेश की बहन की शादी यूपी के बलिया में हुई है। वह बहन के घर जाने के लिए बस में सवार हुआ था। उसे सतना में ट्रेन पकड़नी थी। तीन दिन से परिवार उसकी तलाश में आंसू बहा रहा है। मां अस्तुरना और भाई के आंखों से आंसू नहीं रुक रहे।
बैंक के काम से सतना निकला था योगेंद्र शर्मा
तीसरा लापता युवक सीधी निवासी योगेंद्र उर्फ विकास शर्मा (23) है। वह एचडीएफसी बैंक में जॉब करता है और बैंक के ही काम से सतना निकला था। पिता सुरेश कुमार ने बताया कि मंगलवार सुबह नौ बजे हादसे की सूचना मिली थी। तब से परिवार योगेंद्र के मिलने की उम्मीद में सीधी से रीवा जिले की सीमा में नहर किनारे भटक रहा है। जैसे-जैसे समय गुजर रहा है। उनकी उम्मीदें भी टूटती जा रही हैं।